सब ठीक तो हैं ना।
मुझे सपने भी तुम्हारे ही आते है.. रूह कांप उठती है जो उनमे कभी तुम्हारा बुरा हो.. दिल पूछने लगता है.. सब ठीक तो हैं ना। यू तो गहरी नींद में सोता हु मैं.. लेकिन जो तुम्हारा नाम कोई ले मेरे पास.. उठ कर पुछ बैठता हूँ.. सब ठीक तो हैं ना। मुस्कुरा कर बाते करने लगा हूँ सभी से.. जो कोई तुम्हारी खबर लादे कहीं से.. तुम्हारी ज़िक्र हो जब बातों में.. धड़कन पूछने लगती है... सब ठीक तो हैं ना। कभी रात को तो कभी सितारों को कहा है मैंने.. तुमसे मिलकर आने को.. नही देते जब वो जवाब.. तो जुगनूओं से पुछता हूँ मैं.. सब ठीक तो हैं ना। तुम्हारे शहर की हवाएं दगाबाज़ हैं.. नहीं देती अगर वो तुम्हारी खबर.. तो बादलो से पूछता हूँ मैं.. सब ठीक तो हैं ना। अक्सर नहीं होता ये.. हर पल होता है... मेरा दिल मुझसे..और में अपने दिल से.. पूछता हूं.. सब ठीक तो हैं ना। ✍✍आदित्य ठाकुर✍✍