तुम याद आती हो !
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तुम याद आती हो...
हवा की लहरें जब इस बसंत के मौसम में मेरे होठो को सुखाकर चली जाती है...
तुम याद आती हो।
जब मेरी परछाइयाँ, अँधेरा देख मेरे साथ खेलने लगती है...
तुम याद आती हो।
जब मेरा अकेलापन तुम्हारी तस्वीरों के साथ साझा होता है...
तुम याद आती हो।
जब मेरे रातो की नींद मुझे हर सपने में तुमसे मिलवाती है...
तुम याद आती हो।
जब मेरी कलम, पहली लफ्ज़ कागज़ पे उतारने जाती है...
तुम याद आती हो।
जब मैं अपने पुस्तको को समेट के बस्ते में सतह लगाता हूँ...
तुम याद आती हो।
मेरी हर मुस्कराहट पे जब लोग पूछते है... की क्या बात है..
तुम याद आती हो।
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